आप का भबिष्ये आप के आत्मिक गर्भ में कैसे पल रह है ?
आज इस लेखे में हम कुछ महत्वपुर्ण आत्मिक बातो के बारे बात करेंगे | जो अगर इन बातो को आप समझते है और प्रभु के साथ सही संगति और एक अच्छा रिस्ता निभाते है तो मुझे पूरा बिस्वास और दॄढ भरोषा है आप अपने जीवन के हर एक समय आनन्द के साथ बिताने लगेंगे | आमीन
भविष्य को लेकर चिंताओं से ऊपर उठें
आज कल हर इंसान को हर बातो और अपनी भबिष्य को ले कर चिन्ता रहता है | लेकिन प्रभु यीशु मसीहा इस जगत में आया अपना खून बहाया अपना जीवन हमारे दिया और तीशरे दिन मुर्दो से जी उठने वाला सच्चा परमेश्वर है | प्रभु ने ये बलिदान केवल इंसाननो के उद्धार और इंसानो के प्रति प्रभु का उस असीम प्रेम के लिए किया और उसने हर वो आशीष ,आनंद और अनन्त जीवन इंसानो को दे दिया | आमीन
प्रभु हमें इस धरती पर भेजा और उसके साथ बोहोतायत के आशीष और भरपूरि का भबिष्ये से अभिषेक किया है | जब हम प्रभु को अपना उधारकर्ता और अपना परमेश्वर बोल के दिल से अंगीकार कर लेते है उसी दिन से सरे भलाई की सागर और भरपूरि का भबिष्ये हमारे पीछे बेहनी सुरु हो जाती है |
आत्मिक गर्भ और हमारी जिम्मेदारी
जैसे एक स्त्री जब गर्व धारण करती है उसी दिन से वो आनंद मनाते हुवो अपने उस गर्व में पल रहे बच्चे और खुद का भी ज्यादा धयान देने लगती है क्यों की वो जानती है आने वाला भबिष्य उसके लिए खुसी से भरने वाला है | हर दिन और रात दिन के हर पेहर खाने पीने से लेकर सोने उठने का धयान रखती है | हर वो पौष्टिक आहार लेती है क्यों की वो जो बच्चा उसके गर्व में पल रहा वो स्वस्थ रहे और वो बच्चा उसका जिमेदारी है |
आत्मिक गर्भ को पोषित करना
ठीक उसी प्रकार हमारा भबिष्य जीवन जो प्रभु में हमारे लिए निर्धारित किया है वो उज्वल तो है ,पर उसका जिमेदारी हम पर है | वो बोहोतायत के आशीष और भरपूरि का भबिष्ये हमारे आत्मिक गर्व में पल रहा है | अगर हम प्रभु के साथ जैसे बचन कहता है उसी प्रकार अपना आत्मिक जीवन को प्रभु में समर्पण हो के जिए और हर दिन उस स्त्री के समान धयान दे तो निष्चित समय आने पर हम वो सारि आशीष और भबिष्यवाणी को पूरा होते देखेंगे | आमीन
निष्कर्ष
हमें अपने आत्मिक गर्व पर हर दिन हर समय धयान देना चाहिए हम किस दिन प्रार्थना रूपी भोजन और जल रूपी बचन हमने अपने गर्व पर पल रहे उस उत्तम भबिष्य रूपी बच्चा को दिया की नहीं | मुझे पूरा भरोसा है आप सभी को प्रभु आनंद और आशीष से भरा होगा |